यदि आँख न ही खुले तो अच्छा है
मेरे प्रियतम, जो स्वप्न में आते हैं
मुझसे कभी नहीं बिछुड़ेंगे
जो दवा बीमारी को दूर कर देती है
वही दवा कभी उल्टा असर भी करती है
लेकिन जो रोग उस नायिका के कारण हुआ
उसकी दवा तो वही है
हरिणी सदृश उसकी आँखें
बड़ी लाजवंती हैं
उसको आभूषण क्यों पहनावें?
अपनी प्रिय नायिका के सुकोमल कंधों पर
सोने वाले को जो आंनद मिलता है
वह अपने आपमें परम सुखोप्लब्धि है
नायिका बिछुड़ने पर जला देती है
निकट जाने पर शीतलता प्रदान करती है
इस बाला ने इस प्रकार की
विचित्र आग कहाँ से पाई ?
प्रियतम का दूत
मेरे स्वप्न में आया
मैं उसका अतिथि-सत्कार
किस प्रकार करूँ?
देखना, स्पर्श करना,
सूँघना, सुनना, अनुभव करना—
पंचेंद्रियों का सुख
नायिका से पूर्ण रूप से मिल जाता है
जितना उसके बारे में जानते हैं
उतना ही उसके बारे में कम जानकारी मिलती है
उस नायिका से अधिकाधिक सुख मिलने पर
उतना ही उसके बारे में जान पाते हैं
आग तो छूने पर ही जला सकती है
किंतु काम-ज्वर तो बिछुड़ने पर जलाता है
मैं उसकी ओर दृष्टिपात करूँ
तो वह सिर झुकाकर
ज़मीन को देखती है
उसकी ओर न देखने पर
वह मुझे देख गद्गद् हो उठती है
सभी स्त्रियाँ समान भाव से
तुम्हें सौंदर्य-पान के लिए निहारा करती है
इसलिए तुम्हारे वक्ष से लगकर
मैं तुम्हारा आलिंगन नहीं करूँगी
मैंने अपनी प्रियतमा से कहा,
मैं तुमको सबसे बढ़कर प्यार करता हूँ
इसे सुनकर वह बहुत ग़ुस्से में भर गई
और रूठकर कहने लगी,
फिर तुम किस-किसको प्यार करते हो भला?
जब मैं प्रियतम को देखती हूँ
उसका कुछ भी दोष दिखाई नहीं पड़ता
और उसको न देख पाऊँ
तो दोष को छोड़कर
मुझे कुछ भी नहीं दिखाई पड़ता
इसके पूर्व मुत्यु के बारे में
मैं नहीं जान पाया
अब मैं इसको जान गया—
वह उसकी बड़ी-बड़ी
आक्रामक आँखें ही हैं