वियोग पर कवितांश
वियोग संयोग के अभाव
या मिलाप न होने की स्थिति और भाव है। शृंगार में यह एक रस की निष्पत्ति का पर्याय है। माना जाता है कि वियोग की दशा तीन प्रकार की होती है—पूर्वराग, मान और प्रवास। प्रस्तुत चयन में वियोग के भाव दर्शाती कविताओं का संकलन किया गया है।
नायिका बिछुड़ने पर जला देती है
निकट जाने पर शीतलता प्रदान करती है
इस बाला ने इस प्रकार की
विचित्र आग कहाँ से पाई ?
मैं जीवित हूँ इसलिए
कि उसके साथ सुख के कुछेक दिन मैंने बिताए
उन्हीं के सुखदायी क्षणों का स्मरण कर
जीवित हूँ मैं
वरना जीवित नहीं रह पाती
अगर वह मुझसे बिछुड़कर नहीं जाते
तो यह समाचार मुझे बताओ
प्रियतम के वापस आने के आश्वासन पर
जो जीते रहते हैं, उनसे कहो