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आज़ादी पर कविताएँ

स्वतंत्रता, स्वाधीनता,

मुक्ति के व्यापक अर्थों में आज़ादी की भावना मानव-मन की मूल प्रवृत्तियों में से एक है और कविताओं में महत्त्व पाती रही है। देश की पराधीनता के दौर में इसका संकेंद्रित अभिप्राय देश की आज़ादी से है। विभिन्न विचार-बोधों के आकार लेने और सामाजिक-वैचारिक-राजनीतिक आंदोलनों के आगे बढ़ने के साथ कविता भी इसके नवीन प्रयोजनों को साथ लिए आगे बढ़ी है।

झाँसी की रानी

सुभद्राकुमारी चौहान

अश्वेत बस्ती से

मार्टिन कार्टर

मातृभूमि

सोहनलाल द्विवेदी

लड़के सिर्फ़ जंगली

निखिल आनंद गिरि

बड़बड़

नाज़िश अंसारी

डायरी का आरंभ

हो चि मिन्ह

गुमशुदा

रमेश क्षितिज

चरवाहा

गोविंद निषाद

अभी तक सायरन

डेनिस ब्रूटस

बंदी

अलेक्सांद्र पूश्किन

शरद का एक दिन

एल्वी सिनेर्वो

सूर्य-पुत्र

फ़ेंटन जॉनसन

लड़की की घड़ी

शिवांगी सौम्या

मानवीय न्याय का युग

इबॉर्तो पॅदिल्ल्या

नदी में इतिहास

गोविंद निषाद

मेरी प्रतिज्ञा

मार्टिन कार्टर

स्वतंत्रता और बंधन

ख़लील जिब्रान

जहाँ

मानसी मिश्र

याचना

सुमित त्रिपाठी

भागने का एक सपना

ली मिन-युंग

भोर एक छेनी

मार्टिन कार्टर

औरतें

ली मिन-युंग

रेल-इंजन में विचार

निकोला वाप्त्सारोव

प्रार्थना

रादोय रालिन

जागो

नज़्वान दर्विश

अपराह्न

हो चि मिन्ह

काकेशिया

अलेक्सांद्र पूश्किन

शोक गीत

ह्रिस्तो बोतेव

अफ़्रीक़ा

मिर्ज़ो तुर्सुनज़ादे

महज़ एक जेब

अदीबा ख़ानम

क़दम क़दम बढ़ाए जा

वंशीधर शुक्ल

उड़ते हुए

वेणु गोपाल

उठ जाग मुसाफ़िर

वंशीधर शुक्ल

क़ैदी और कोकिला

माखनलाल चतुर्वेदी

जेल में आती तुम्हारी याद

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

आज़ादी के मूल्य

गोविंद निषाद

मुक्ति

सौरभ अनंत

पंद्रह अगस्त

रघुनाथ दास

चिड़िया

अवधेश कुमार

देखना

मानसी मिश्र