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ज्ञानरंजन

1936 | अकोला, महाराष्ट्र

सातवें दशक की प्रगतिशील धारा के प्रमुख कथाकार। ‘पहल’ पत्रिका के संपादक के रूप में समादृत।

सातवें दशक की प्रगतिशील धारा के प्रमुख कथाकार। ‘पहल’ पत्रिका के संपादक के रूप में समादृत।

ज्ञानरंजन के उद्धरण

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आकाश हम छू रहे हैं, ज़मीन खो रहे हैं।

...लिखते समय जितना भी अकेलापन हो, वह काफ़ी अकेलापन नहीं है, कितनी ही ख़ामोशी हो वह पर्याप्त ख़ामोशी नहीं है, कितनी ही रात हो वह काफ़ी रात नहीं है।

हमें मार्ग पर चलना भी है, मार्ग बनाना भी है।

आप किसी के प्रभाव में कुछ दिन तक तो रह सकते हैं, लेकिन आजीवन नहीं रह सकते।

सच्चाई की कानाफूसी नहीं होती।

  • संबंधित विषय : सच

कभी ऐसा दिन भी होता है और ऐसी ऋतु जब आकाश पर सुबह तक चाँद एक वाटरमार्क की तरह उपस्थित रहता है और दूसरी तरफ़ सूर्योदय भी हो रहा होता है। मेरे जीवन का प्रारंभ कुछ ऐसा ही था।

लेखक का मार्ग अपनी सुदीर्घ परंपरा और विचार से निर्धारित होगा, वह राजनैतिक दलों की करवटों से नहीं बनेगा।

बाज़ार वह जगह है जहाँ स्वागत किया जाता है, अंगीकृत किया जाता है, सजाया जाता है, बेचा जाता है और फ़ालतू भी कर दिया जाता है।

लेखक का जीवन का गृहस्थ के जीवन से टूट-टूटकर चलता है।

रचनाकारों अपने समाज में धँसने की ज़रूरत है।

साहित्य में जो मुद्दा राजनीति के रास्ते से आता है, वह बहुत दिनों तक या स्थायी रूप से नहीं टिक पाता।

लिखते समय सारा समय ही बहुत कम है, क्योंकि सड़कें अंतहीन लंबी हैं और रास्ते से कभी भी भटका जा सकता है।

पुरस्कार के पीछे समाज होना चाहिए।

एक हद तक प्रकाशित होना ही पुरस्कृत होना है।

सूची कोई भी बनाए, कभी भी बनाए, सूचियाँ हमेशा ख़ारिज की जाती रहेंगी; वे विश्वसनीयता पैदा नहीं कर सकती—क्योंकि हर संपादक, आलोचक के जेब में एक सूची है।

कहानी को अच्छा गद्य चाहिए।

अगर हमारे पास मुठभेड़ के अपने विषय नहीं होंगे और हम विरोधियों, शत्रुओं से ही संघर्ष के विषय लेते रहेंगे तो यह एक झगड़ालू और निस्तेज जीवन होगा।

शमशेर के नेत्र मैं भूलता नहीं, वे चलती हुई नावों की तरह हैं।

  • संबंधित विषय : कवि

लिखने का मतलब है अपने को अतिरेक में दिखाना।

कुछ हमारे नवोदितों को लगता है कि बड़े शहरों में मौलिकता मिलेगी—मौलिकता युगावतारों के लिए है।

सूचनाएँ हमारे नरक की ख़बर देती हैं।

पुरस्कार वही अच्छे होते हैं, जो दूर और दुर्लभ लगते हैं।

पुरस्कार को भी अपनी प्रतिष्ठा बनानी होती है।

हमको अपनी विधा पर मास्टरी करनी चाहिए।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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