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गजानन माधव मुक्तिबोध

1917 - 1964 | श्योपुर, मध्य प्रदेश

आधुनिक हिंदी कविता के अग्रणी कवियों में से एक। अपनी कहानियों और डायरी के लिए भी प्रसिद्ध।

आधुनिक हिंदी कविता के अग्रणी कवियों में से एक। अपनी कहानियों और डायरी के लिए भी प्रसिद्ध।

गजानन माधव मुक्तिबोध के उद्धरण

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दुनिया में नाम कमाने के लिए कभी कोई फूल नहीं खिलता है।

हमारे आलस्य में भी एक छिपी हुई, जानी-पहचानी योजना रहती है।

अब अभिव्यक्ति के सारे ख़तरे उठाने ही होंगे। तोड़ने होंगे ही मठ और गढ़ सब।

पाप के समय भी मनुष्य का ध्यान इज़्ज़त की तरफ़ रहता है।

सच्चा लेखक जितनी बड़ी ज़िम्मेदारी अपने सिर पर ले लेता है, स्वयं को उतना अधिक तुच्छ अनुभव करता है।

आज का प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति प्रेम का भूखा है।

मुक्ति अकेले में अकेले की नहीं हो सकती। मुक्ति अकेले में अकेले को नहीं मिलती।

अच्छाई का पेड़ छाया प्रदान नहीं कर सकता, आश्रय प्रदान नहीं कर सकता।

जब तक मेरा दिया तुम किसी और को दोगे, तब तक तुम्हारी मुक्ति नहीं।

जल विप्लव है।

झूठ से सच्चाई और गहरी हो जाती है—अधिक महत्त्वपूर्ण और प्राणवान।

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अस्ल में साहित्य एक बहुत धोखे की चीज़ हो सकती है।

आहतों का भी अपना एक अहंकार होता है।

वेदना बुरी होती है। वह व्यक्ति को व्यक्ति-बद्ध कर देती है।

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अमिश्रित आदर्शवाद में मुझे आत्मा का गौरव दिखाई देता है।

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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