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एडमंड बर्क

1729 - 1797 | डबलिन

18वीं सदी के सुप्रसिद्ध आयरिश राजनेता, लेखक, राजनीतिक सिद्धांतवादी और दार्शनिक।

18वीं सदी के सुप्रसिद्ध आयरिश राजनेता, लेखक, राजनीतिक सिद्धांतवादी और दार्शनिक।

एडमंड बर्क के उद्धरण

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आप कभी भी अतीत के द्वारा भविष्य की योजना नहीं बना सकते।

अराजकता का इलाज स्वतंत्रता है कि दासता, वैसे ही जैसे अंधविश्वास का सच्चा इलाज नास्तिकता नहीं, धर्म है।

यह वह बात नहीं है जो वकील बताए कि मुझे करनी चाहिए, अपितु यह वह बात है जो मानवता, विवेक और न्याय बताते हैं कि मुझे करनी चाहिए।

सभी के लिए एक क़ानून है अर्थात् वह क़ानून जो सभी क़ानूनों का शासक है, हमारे विधाता का क़ानून, मानवता, न्याय, समता का क़ानून, प्रकृति का क़ानून, राष्ट्रों का कानून।

जब बुरे व्यक्ति संगठित हो जाते हैं, तब अच्छों को भी मिल जाना चाहिए; अन्यथा वे एक-एक करके पराजित हो जाएँगे।

मानवों का विद्यालय 'उदाहरण' है और वे अन्यत्र कुछ नहीं सीखेंगे।

असत्य चिरस्थायी स्रोत वाला होता है।

केवल बल का प्रयोग तो अस्थायी होता है। यह क्षणभर को हरा सकता है किंतु इससे पुनः हराने की आवश्यकता समाप्त नहीं हो जाती और वह राष्ट्र, जिसे निरंतर जीतते ही रहना पड़े, शासित नहीं है।

प्रकृति एक बात कहे और बुद्धिमत्ता दूसरी, ऐसा नहीं हुआ, नहीं-नहीं, कभी नहीं।

प्रथा हमें प्रत्येक वस्तु से समंजित करा देती है।

अत्याचारीगण बहाने नहीं चाहते।

महान व्यक्ति राज्य में पथप्रदर्शक चौकियों तथा युगांतरकारी घटनाओं के समान होते हैं।

नया परिवर्तन करना सुधार करना नहीं हैं।

प्रशंसा करिए जब हम दौड़ें, सांत्वना दीजिए जब हम गिरें, उत्साहित करिए जब हमारा पुनरुत्थान हो, किंतु भगवान के लिए हमें बढ़ने दीजिए, हमें बढ़ने दीजिए।

मैं उस भारतीय जनता के नाम पर, जिसके अधिकारों को उसने पददलित किया है और जिसके देश को उसने उजाड़ कर दिया है, उस पर महाभियोग लगाता हूँ। अंततः स्वयं मानव प्रकृति के नाम पर, स्त्रियों और पुरुषों दोनों के नाम पर, हर उम्र के नाम पर, हर पद के नाम पर, मैं सभी के आम शत्रु और उत्पीड़क पर महाभियोग लगाता हूँ।

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