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भाषण पर उद्धरण

यह जगत का निजी अनुभव है कि आधी छटाँक-भर आचरण का जितना फल होता है उसका मन-भर भाषणों अथवा लेखों का नहीं होता।

महात्मा गांधी

भाषण अनेक बार हमारे आचरण की ख़ामियों का दर्पण होता है। बहुत बोलने वाला कदाचित् ही अपने कहे का पालन करता है।

महात्मा गांधी