Font by Mehr Nastaliq Web

परिपक्वता पर उद्धरण

भक्ति रस का पूर्ण परिपाक जैसा तुलसीदास जी में देखा जाता है, वैसा अन्यत्र नहीं।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

संबंधित विषय