
तू स्वयं अपना उच्च न्यायालय है। अपनी रचना का मूल्यांकन केवल तू ही कर सकता है।

उसने लगभग सात साल पहले दीवानी का एक मुक़दमा दायर किया था; इसलिए स्वाभाविक था कि वह अपनी बात में पुनर्जन्म के पाप, भाग्य, भगवान्, अगले जन्म के कार्यक्रम आदि का नियमित रूप से हवाला देता।

अदालतों का एक अलिखित क़ानून है कि अदालत और वकील, अकबर-बीरबल-विनोद के पैमाने पर कभी-कभी हाज़िरजवाबी दिखाते हैं और एक-दूसरे से मज़ाक करते हैं।

विश्व का इतिहास विश्व का न्यायालय है।