जॉन कीट्स के उद्धरण

मुझे हृदय की भावनाओं की पवित्रता तथा कल्पना की सत्यता पर ही पक्का विश्वास है, अन्य पर नहीं—कल्पना जिसे सौंदर्य के रूप में ग्रहण करती है वह सत्य ही होना चाहिए चाहे पहले वह अस्तित्व में था या नहीं।

काव्य को अपनी सुंदर अतिशयता से चकित करना चाहिए, न कि विलक्षणता से। पाठक को काव्य उसके अपने ही विचारों का शब्दरूप लगना चाहिए और लगभग एक स्मृति जैसा ही प्रतीत होना चाहिए।




अपनी बुद्धि को तीव्र करने की एक ही विधि है कि किसी विषय में भी अपना कोई मत न बनाया जाए और मानस को सभी विचारों के लिए आम रास्ता बनाया जाए। और न कि एक पूर्व निश्चित दल।
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काव्य, यश और सौंदर्य वास्तव में प्रबल हैं, किंतु मृत्यु अधिक प्रबल है। मृत्यु जीवन का पारितोषिक है।
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