भगवती चरण वर्मा के उद्धरण

निर्बल व्यक्ति की आहें संगठित होकर समुदाय द्वारा जनित क्रांति का रूप धारण कर सकती हैं।

धर्म समाज द्वारा निर्मित है। धर्म ने नीतिशास्त्र को जन्म नहीं दिया है, वरन् इसके विपरीत नीति-शास्त्र ने धर्मं को जन्म दिया है।
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कृत्रिमता को हमने इतना अधिक अपना लिया है कि अब वह स्वयं ही प्राकृतिक हो गयी है।
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संबंधित विषय : प्रकृति
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