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भगवती चरण वर्मा

1903 - 1981 | सफ़ीपुर, उत्तर प्रदेश

भगवती चरण वर्मा के उद्धरण

निर्बल व्यक्ति की आहें संगठित होकर समुदाय द्वारा जनित क्रांति का रूप धारण कर सकती हैं।

धर्म समाज द्वारा निर्मित है। धर्म ने नीतिशास्त्र को जन्म नहीं दिया है, वरन् इसके विपरीत नीति-शास्त्र ने धर्मं को जन्म दिया है।

कृत्रिमता को हमने इतना अधिक अपना लिया है कि अब वह स्वयं ही प्राकृतिक हो गयी है।

प्रेम का अर्थ होता है, निःसीम त्याग।

प्रेम बलिदान है, आत्मत्याग है, ममत्व का विस्मरण है।

उस व्यक्ति से कोई बात छिपानी चाहिए, जिससे स्नेह हो।

संसार क्या है? शून्य है। और परिवर्तन उस शून्य की चाल है।

प्रेम के क्षेत्र में अपवित्रता का कोई स्थान नहीं है।

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