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फ़ोन पर कविताएँ

फ़ोन आधुनिक जीवनशैली

का अभिन्न अंग बन चुका है और इसलिए आश्चर्यजनक नहीं कि उनसे जुड़े संदर्भ कविताओं के भी विषय बन रहे हैं। प्रस्तुत चयन ऐसी ही कुछ रचनाओं से किया गया है।

पुरुषत्व एक उम्मीद

पंकज चतुर्वेदी

यह नंबर मौजूद नहीं

मंगलेश डबराल

फ़्रीक्वेंसी

संजीव गुप्त

मोबाइल

मंगलेश डबराल

आवाज़ कट रही है

सिद्धेश्वर सिंह

सेल्फ़ी

प्रज्ञा सिंह

सेल्फ़ी

ऋतेश कुमार

मम्मी का फ़ोन

मुकेश कुमार सिन्हा

फ़ोन

अवधेश कुमार

मोबाइल

गोविंद माथुर

जिसे चाहती हो तुम छुपाना

महेश चंद्र पुनेठा

भारत संचार निगम लिमिटेड

अष्टभुजा शुक्‍ल

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