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एकाग्र पर उद्धरण

जो एक भाव लेकर उसी में मत्त रह सकते हैं, उन्ही के हृदय में सत्य-त्तत्त्व का उन्मेष होता हैं।

स्वामी विवेकानन्द

मन को एकाग्र करना आरंभ करने पर देखोगे कि एक सामान्य पिन गिरने से ही ऐसा मालूम होगा कि मानो तुम्हारे मस्तिष्क में से वज्र पार हो गया।

स्वामी विवेकानन्द

एकाग्रता का अर्थ ही है, शक्तिसंचय की क्षमता को बढ़ाकर समय को घटा लेना। राजयोग इसी एकाग्रता की शक्ति को प्राप्त करने का विज्ञान है।

स्वामी विवेकानन्द
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एक भाव को पकड़ो, उसी को लेकर रहो। उसका अंत देखे बिना उसे मत छोड़ो।

स्वामी विवेकानन्द