हान कांग के उद्धरण
चीज़ों को सहना ही तुम्हारा सबसे अच्छा काम है। अपने दाँत पीसकर उन्हें सह लेना।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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मैं तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारा अंतिम संस्कार नहीं कर सकी… इसलिए मेरा जीवन एक अंतिम संस्कार बन गया।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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वह सोचती है कि काश किसी की आँखें दूसरों को दिखाई नहीं देतीं। काश कोई अपनी आँखों को दुनिया से छिपा पाता।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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उस दूसरी दुनिया का समय अब पिछले हफ़्ते से ज़्यादा वास्तविक नहीं लगता।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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कृपया अपनी किताब लिखें ताकि कोई भी मेरे भाई की यादों को फिर से अपवित्र न कर सके।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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अगर उसके पास कभी आत्मा जैसी कोई चीज़ होती तो वह उसके टूटने का क्षण होता।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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तुम जब मांस खाना बंद करोगी तो दुनिया तुम्हें पूरा निगल जाएगी।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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मूर्ख, भूत को हाथों की क्या ज़रूरत है?
अनुवाद : सरिता शर्मा
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आत्मा के पास शरीर नहीं होता, तब वह हमें कैसे देख सकती है?
अनुवाद : सरिता शर्मा
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वह एक अच्छी स्त्री है—उसने सोचा—ऐसी स्त्री जिसकी अच्छाई कष्टप्रद है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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हम अँधेरे में क्यों चल रहे हैं… चलो वहाँ चलते हैं, जहाँ फूल खिल रहे हैं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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कहावत है कि कुत्ते के काटने से हुए घाव को ठीक करने के लिए आपको उसी कुत्ते को खाना पड़ता है… और मैंने अपने लिए एक निवाला ले लिया।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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तुम्हें पता है कि एक व्यक्ति के रूप में तुम्हारे पास न तो बहादुरी की क्षमता है और न ही ताक़त की।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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विवेक—विवेक दुनिया की सबसे भयानक चीज़ है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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कोई माफ़ी नहीं मिलेगी। कम से कम मेरे लिए तो नहीं।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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वह ख़ुद के ख़िलाफ़ बँधा हुआ था… क्या वह सामान्य इंसान था?
अनुवाद : सरिता शर्मा
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समय एक लहर की तरह था—अपनी कठोरता में लगभग क्रूर।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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काश मैं सपनों में छिप पाती या शायद यादों में!
अनुवाद : सरिता शर्मा
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मैंने ख़ुद को कभी यह नहीं भूलने दिया कि मैं जिस भी व्यक्ति से मिलती हूँ, वह इस मानव-जाति का सदस्य है।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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बिना किसी आवाज़ के और बिना किसी हलचल के, मेरे अंदर की कोई कोमल चीज़ टूट गई। कुछ ऐसी चीज़, जिसके होने का मुझे तब तक एहसास भी नहीं हुआ था।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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मैं तुम्हें निगल जाना चाहती हूँ और चाहती हूँ कि तुम मुझमें पिघल जाओ और मेरी नसों में बह जाओ।
अनुवाद : सरिता शर्मा
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