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ज्ञान पर कवितांश

ज्ञान का महत्त्व सभी

युगों और संस्कृतियों में एकसमान रहा है। यहाँ प्रस्तुत है—ज्ञान, बोध, समझ और जानने के विभिन्न पर्यायों को प्रसंग में लातीं कविताओं का एक चयन।

संशयमुक्त होकर

सच्चा ज्ञान पाने वाले को

संसार की अपेक्षा

मोक्ष अधिक समीप है

तिरुवल्लुवर

जो बौद्धिक स्तर पर

तुम्हारे बराबर नहीं हैं

उनके समक्ष वार्तालाप करना

गंदे आँगन में

अमृत बहाने के बराबर है

तिरुवल्लुवर

विद्यावान् की दो आँखें होती हैं

पर अशिक्षित लोगों के लिए

ये आँखें उनके चेहरे पर

दो घाव मात्र हैं

तिरुवल्लुवर

मैंने तुम्हें जाना और खो दिया

जान लेना एक उबाऊ चीज़ है।

नवीन रांगियाल

अशिक्षित व्यक्ति भी भाग्यशाली है

यदि विद्वानों की सभा में

व्याख्यान देने का साहस करे

तिरुवल्लुवर

सीखे हुए ग्रंथों को

दूसरों को समझाने में

जो असमर्थ हैं

वे उस फूल के बराबर हैं

जो विकसित होने पर भी

अपनी सुगंध को फैला नहीं सकते

तिरुवल्लुवर