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मूर्ख पर कवितांश

एक नीच व्यक्ति

जितनी पीड़ा स्वयं अपने आपको देता है

उतना ताप देना

किसी दुश्मन को भी संभव नही

तिरुवल्लुवर

अशिक्षित व्यक्ति भी भाग्यशाली है

यदि विद्वानों की सभा में

व्याख्यान देने का साहस करे

तिरुवल्लुवर

मूर्खों की मित्रता अत्यंत सुखदायक है

क्योंकि उनके विछोह में

वेदना कदापि नहीं होती।

तिरुवल्लुवर

जो बौद्धिक स्तर पर

तुम्हारे बराबर नहीं हैं

उनके समक्ष वार्तालाप करना

गंदे आँगन में

अमृत बहाने के बराबर है

तिरुवल्लुवर

विद्यावान् की दो आँखें होती हैं

पर अशिक्षित लोगों के लिए

ये आँखें उनके चेहरे पर

दो घाव मात्र हैं

तिरुवल्लुवर

मूर्ख लोगों से

घनिष्ठ मित्रता की अपेक्षा

समझदार की शत्रुता

करोड़ों गुना अच्छी है

तिरुवल्लुवर

जो निरर्थक शब्दों का

बार-बार प्रयोग करता है

वह मनुष्यों में कूड़े के समान है

तिरुवल्लुवर