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रामकुमार वर्मा

1905 - 1990 | सागर, मध्य प्रदेश

समादृत कवि, एकांकीकार और आलोचक। पद्मभूषण से सम्मानित।

समादृत कवि, एकांकीकार और आलोचक। पद्मभूषण से सम्मानित।

रामकुमार वर्मा के उद्धरण

दया करना तो स्त्री का स्वाभाविक धर्म है।

वह प्रेम करते समय समुद्र से भी अधिक गहरी और गंभीर हो जाती है और निराश होने पर आग की लपट से भी अधिक भयानक।

नारी की शक्ति उसकी तपस्या में है।

मैं जीवन को दंड नहीं समझना चाहता। यह ब्रह्म की विभूति है। इसे चिंता में घुलाना, पाप में लपेटना, दुःख में बिलखाना सबसे बड़ा अपराध है।

संपत्ति का यह स्वभाव है कि जितना ही उसका तिरस्कार करो, वह उतनी ही पास आती है।

जननी की शक्ति संसार में सबसे महान है।

शक्ति के संचित कोष का नाम 'पुरुष' है।

जीवन का आदर्श ही यही है कि जीवन के उस पार देखा जाए।

माता के हृदय से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं है।

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