मैथिलीशरण गुप्त के उद्धरण
सच्चा धन तो है बस धर्म, जो हिंदू का जीवन मर्म।
1886 - 1964 | झाँसी, उत्तर प्रदेश
राष्ट्रकवि के रूप में समादृत कवि। ‘भारत भारती’ उल्लेखनीय काव्य-कृति।
राष्ट्रकवि के रूप में समादृत कवि। ‘भारत भारती’ उल्लेखनीय काव्य-कृति।