
अगर शेक्सपियर आज ज़िंदा होते तो शायद वह ट्विटर पर लिख रहे होते।

पढ़ने का समकालीन संदर्भ काफ़ी जटिल है। आमतौर पर इसकी जटिलता को संचार की टेक्नॉलॉजी में हुए विकास और उसके ज़रिए आए सामाजिक व शैक्षिक परिवर्तनों से जोड़ा जाता है। मगर पढ़ने के संदर्भ में जटिलता का एक अन्य स्रोत भी है। वह है पढ़ने को लेकर विकसित हुआ शिक्षाशास्त्र।

चेयरमैन माओ दुनिया के पहले व्यक्ति थे—ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले। उनकी हर उक्ति 140 शब्दों में समा जाती है।

ब्लॉगिंग से पहले, मैं मध्य युग में रह रहा था। अब टाइम और स्पेस को लेकर मेरी सोच संपूर्ण रूप से बदल गई है।

