नश्वर पर आलोचनात्मक लेखन
मानव शरीर की नश्वरता
धार्मिक-आध्यात्मिक चिंतन के मूल में रही है और काव्य ने भी इस चिंतन में हिस्सेदारी की है। भक्ति-काव्य में प्रमुखता से इसे टेक बना अराध्य के आश्रय का जतन किया गया है।
निराला की एक कविता : हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र
इस शीर्षक में 'पत्र' शब्द कविता का अर्थ खोल देता है। हिन्दी में 'सुमनों के प्रति' पत्र की ओर से बात कही गई है। 'पत्र' शब्द पाँच छंदों की इस कविता में तीसरे छंद की तीसरी पंक्ति में आया है। 'पत्र' के हिन्दी में कई अर्थ हैं; चिट्ठी और पत्ता। इस कविता में