
हममें से हर किसी का कुछ न कुछ क़ीमती खो रहा है। खोए हुए अवसर, खोई हुई संभावनाएँ, भावनाएँ… जो हम फिर कभी वापस नहीं पा सकते। यह जीवित रहने के अर्थ का एक हिस्सा है।

लोग केवल तभी झूठ बोलते हैं, जब कोई ऐसी चीज़ होती है जिसे खोने का उन्हें बहुत डर होता है।

प्यार उस आधे भाग के लिए चाह है जिसे हमने खो दिया है।

किसी भी समाज की सबसे ख़तरनाक रचना वह व्यक्ति होता है, जिसके पास खोने के लिए कुछ नहीं होता है।

आश्चर्य है, वैद्य मरते हैं, डॉक्टर मरते हैं, उनके पीछे हम भटकते हैं। लेकिन राम जो मरता नहीं है, हमेशा ज़िंदा रहता है और अचूक वैद्य है, उसे हम भूल जाते हैं।
