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घास पर कविताएँ

प्रकृति, उर्वरता-अनुर्वरता,

जिजीविषा आदि विभिन्न प्रतीकों के रूप में घास कविता में उगती रही है।

घास

श्रीकांत वर्मा

घास

कार्ल सैंडबर्ग

घास

तादेऊष रूज़ेविच

घास और ईजा

अनिल कार्की

मक़बरे

रवि यादव

हरी घास का बल्लम

केदारनाथ अग्रवाल

घास

नितेश व्यास

दूब

दुव्वूरि रामिरेड्डी

घास

राजवीर

घास

सुधीर रंजन सिंह

घास पर नंगे पैर

उद्भ्रांत

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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