Font by Mehr Nastaliq Web

महिमा पर सबद

महिमा महानता की अवस्था

या भाव है। महिमा की गिनती आठ प्रकार की सिद्धियों में से एक के रूप में भी की गई है। इस चयन में शामिल काव्य-रूपों में ‘महिमा’ कुंजी-शब्द के रूप में उपस्थित है।

कतिक करम कमावणे

गुरु अर्जुनदेव

सावण सरसी कामणी

गुरु अर्जुनदेव

जग में संत भये कैसे भारी

दरिया (बिहार वाले)

घर आग लगावे सखी

संत शिवदयाल सिंह

प्रेमी सुनो प्रेम की बात

संत शिवदयाल सिंह

जो सुमिरूँ तो पूरन राम

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

असुन प्रेम उमाहड़ा

गुरु अर्जुनदेव

मंघिर माहे सोहंदीआ

गुरु अर्जुनदेव

रमईया तुम बिन रह्यो न जाइ

तुरसीदास निरंजनी

सो पुरुष निरंजनु

गुरु रामदास

गुरु बिना कभी न उतरे पार

संत शिवदयाल सिंह

चलो घर गुरु संग घर मन धीर

संत शिवदयाल सिंह

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए