रचित के बेला
ज़ेन ज़ी का पॉलिटिकल एडवेंचर : नागरिक होने का स्वाद
जय हो! जग में चले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को। जिस नर में भी बसे हमारा नाम, तेज को, बल को। —दिनकर, रश्मिरथी | प्रथम सर्ग ज़ेन ज़ी, यानी 13-28 साल की वह पीढ़ी, जो अब तक मीम, चुटकुलों और रीलों में
'दुपहिया' की डायरेक्टर सोनम नायर से बातचीत
गए दिनों अमेज़न प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई एक वेब सीरीज़—‘दुपहिया’। सोशल मीडिया में इस सीरीज़ को लेकर ख़ासी चर्चा हो रही है। काल्पनिक बिहार में काल्पनिक रूप से अपराधमुक्त काल्पनिक गाँव धड़कपुर पर आधा
दारा शुकोह, मैनेजर पांडेय और कुछ झूठ
विश्वविद्यालयों में एक जुमला ख़ूब चलता है—“और भाई एमे, एम्फ़िल, जॉरगंस से निकल गए या वहीं फँसे हो।’’ मतलब यह कि नया विद्यार्थी ख़ूब भारी-भारी शब्द उछालना सीख जाता है। आजकल किसी भी किताब पर होने वाली च