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बानू मुश्ताक़

कन्नड़ लेखिका, कार्यकर्ता। अंतर्राष्ट्रीय बुकरपुरस्कार से सम्मानित।

कन्नड़ लेखिका, कार्यकर्ता। अंतर्राष्ट्रीय बुकरपुरस्कार से सम्मानित।

बानू मुश्ताक़ के उद्धरण

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कोई भी कहानी कभी छोटी नहीं होती। मानवीय अनुभव के ताने-बाने में, हर तंतु सम्पूर्णता का भार रखता है।

अनुवाद : सरिता शर्मा

मेरी कहानियाँ उन महिलाओं के बारे में हैं जिनसे धर्म, समाज और राजनीति—बिना किसी सवाल के आज्ञाकारिता की माँग करते हैं और ऐसा करते हुए उन पर अमानवीय क्रूरता करते हैं, बल्कि उन्हें केवल अधीनस्थ बना देते हैं।

अनुवाद : सरिता शर्मा

महिलाओं का दर्द, पीड़ा और असहाय जीवन—मेरे भीतर एक गहरी भावनात्मक प्रतिक्रिया पैदा करता है। मैं व्यापक शोध नहीं करती हूँ ; मेरा दिल ही मेरा अध्ययन क्षेत्र है।

अनुवाद : सरिता शर्मा

महिलाओं का दर्द, पीड़ा और असहाय जीवन—मेरे भीतर एक गहरी भावनात्मक प्रतिक्रिया पैदा करता है जो मुझे लिखने के लिए मजबूर करता है।

अनुवाद : सरिता शर्मा

मेरा मानना है कि लेखक का काम अन्याय को दर्ज करना है। उसे कलात्मक तरीके से दर्ज करें। अगर आपको कोई रास्ता दिखता है, तो उसका ज़िक्र करें। लेकिन कभी उपदेश दें।

अनुवाद : सरिता शर्मा

चाहे कोई किसी भी धर्म का हो—यह स्वीकार किया जाता रहा है कि पत्नी; पति की सबसे आज्ञाकारी नौकरानी, उसकी बंधुआ मज़दूर होती है।

अनुवाद : सरिता शर्मा

एक ऐसी दुनिया में; जो अक्सर हमें विभाजित करने की कोशिश करती है—साहित्य उन खोई हुई पवित्र जगहों में से एक है जहाँ हम एक-दूसरे के दिमाग़ में रह सकते हैं—भले ही कुछ पन्नों तक ही क्यों हो।

अनुवाद : सरिता शर्मा

महिलाएँ अक्सर पुरुषों की तुलना में महिलाओं के साथ ज़्यादा सख़्त होती हैं। वे पुरुषों की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेती हैं और महिलाओं पर अत्याचार करने के लिए अपनी रणनीति अपनाती हैं—जिस तरह वरिष्ठ अपराधी, दूसरे दोषियों के पर्यवेक्षक बन जाते हैं।

अनुवाद : सरिता शर्मा

मैं अपने समाज में महिलाओं और पुरुषों के साथ होने वाले अन्याय के बारे में लिखती हूँ। मुझे महिलाओं की कहानियाँ लिखते रहने का कर्तव्य महसूस होता है।

अनुवाद : सरिता शर्मा

जन्म देने के चालीस दिन तक, नवजात बच्चे और जच्चा के लिए चालीस कब्रों के मुँह खुले हुए होते हैं। हर गुज़रते दिन के साथ एक-एक कब्र का मुँह बंद होता जाता है।

अनुवाद : सरिता शर्मा

महिलाएँ समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन समाज उनकी आवाज़ को दबा देता है। मैं अपने महिला पात्रों के माध्यम से बात करना चाहती हूँ। मैं उनके माध्यम से चीखना-चिल्लाना चाहती हूँ।

अनुवाद : सरिता शर्मा

जो अन्याय आप देखते हैं, उसे दर्ज करें और बाकी पाठकों के विवेक पर छोड़ दें।

अनुवाद : सरिता शर्मा

कहानियाँ मेरा पहला प्यार है। कैनवास छोटा है, लेकिन चुनौती उस ढाँचे के भीतर काव्यात्मक होने के साथ-साथ सटीक भी है—जितना संभव हो उतने अधिक से अधिक मोड़ शामिल करना, मांस और ख़ून के चरित्र बनाना।

अनुवाद : सरिता शर्मा

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