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राममनोहर लोहिया

1910 - 1967 | अकबरपुर, उत्तर प्रदेश

स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी नेता और प्रखर चिंतक। 'भारत में समाजवाद', 'जाति और राजनीति', 'संपत्ति और समाजवाद' आदि उल्लेखनीय कृतियाँ।

स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी नेता और प्रखर चिंतक। 'भारत में समाजवाद', 'जाति और राजनीति', 'संपत्ति और समाजवाद' आदि उल्लेखनीय कृतियाँ।

राममनोहर लोहिया के उद्धरण

केवल हिंदुस्तान में दर्शन संगीत के रूप में कहा गया। जब दर्शन और संगीत का जोड़ हो जाए तो मज़ा ही आएगा।

करोड़ों हिंदुस्तानियों ने, युग-युगांतर के अंतर में, हज़ारों बरस में राम, कृष्ण और शिव को बनाया। उनमें अपनी हँसी और सपने के रंग भरे और तब राम और कृष्ण और शिव जैसी चीज़ें सामने हैं।

मेरी पीढ़ी के लोगों के लिए गांधी जी कल्पना थे, जवाहरलाल जी कामना और नेताजी सुभाष कर्म। कल्पना सर्वथा द्रष्टा रहेगी, तथापि विस्तार में उसके कुछ अपने दोष थे, पर उसकी कीर्ति, मैं आशा करता हूँ कि समय के साथ चमकेगी। कामना कड़वी हो गई है और कर्म अपूर्ण रहा।

सच, कर्म और चरित्र को क्रांति के बाद की चीज़ नहीं समझना चाहिए। इन्हें तो क्रांति के साथ-साथ चलना चाहिए।

संसार में एक कृष्ण ही हुआ जिसने दर्शन को गीत बनाया।

एक तरफ़ निर्दयता में यह सदी बहुत बढ़ी हुई है, तो दूसरी तरफ़ न्याय की इच्छा में भी।

भारत माता, हमें शिव का मस्तिष्क दो, कृष्ण का हृदय दो तथा राम का कर्म और वचन दो। हमें असीम मस्तिष्क और हृदय के साथ-साथ जीवन की मर्यादा से रचो।

ब्रह्मज्ञान में जो चीज़ मुझे अच्छी लगती है, वह यह कि आदमी अपने संकुचित शरीर और मन से हट कर सब लोगों से अपनापन महसूस करे।

मुझे ऐसा लगता है कि आर्य, द्रविड़ और मंगोल-भेद गढ़े गए हैं, विशेष कर विदेशियों ने गढ़े हैं। यदि ये थे भी, तो 3-4 हज़ार बरस पहले। अब वे बिलकुल झूठे हैं। इसी एक झूठ के सहारे हिंदुस्तान का पूरा इतिहास, साहित्य, भूगोल और संस्कृति इत्यादि अब तक पढ़ाए जाते हैं। इससे अनर्थ हो रहा है।

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