मुझे ऐसा लगता है कि आर्य, द्रविड़ और मंगोल-भेद गढ़े गए हैं, विशेष कर विदेशियों ने गढ़े हैं। यदि ये थे भी, तो 3-4 हज़ार बरस पहले। अब वे बिलकुल झूठे हैं। इसी एक झूठ के सहारे हिंदुस्तान का पूरा इतिहास, साहित्य, भूगोल और संस्कृति इत्यादि अब तक पढ़ाए जाते हैं। इससे अनर्थ हो रहा है।