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अवधी कविता पर बेला

28 अक्तूबर 2025

भारतेंदु मिश्र : तरफराति पिंजरा है काठ कै चिरइया

भारतेंदु मिश्र : तरफराति पिंजरा है काठ कै चिरइया

कितना दारुण है यह लिखना—स्वर्गीय भारतेंदु मिश्र। मैं उन्हें दद्दा कहता रहा हूँ। अब दद्दा स्मृतियों में रहेंगे, उनकी आत्मीयताओं का बतरस कानों में बजता रहेगा, उनकी कविताओं की पंक्तियाँ वजह-बे-वजह मस्ति

03 दिसम्बर 2024

बेकल उत्साही : मैं ख़ुसरो का वंश हूँ, हूँ अवधी का संत

बेकल उत्साही : मैं ख़ुसरो का वंश हूँ, हूँ अवधी का संत

अवधी में रोमानी कविता की भी एक संवृद्ध परंपरा रही है, जिसकी शुरुआती मिसाल हम अबुल हसन यमीन उद-दीन ख़ुसरो (1253-1325 ई.) के यहाँ देख सकते हैं। उनका एक प्रसिद्ध कथन है कि “मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ। अ