Font by Mehr Nastaliq Web

कृत्रिम भावना पर उद्धरण

हम बहुधा अपनी झेंप मिटाने और दूसरों की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए कृत्रिम भावों की आड़ लिया करते हैं।

प्रेमचंद

लाख निहोरा करें, कृत्रिमता से पर्व का समझौता नहीं होता।

कृष्ण बिहारी मिश्र