गोपालशरण सिंह के उद्धरण
कविता की सप्राणता भावना में ही है। परंतु भावना के लिए बुद्धि का नियंत्रण आवश्यक है। अनियंत्रित भावना की परिणति सस्ती भावुकता होती है।
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया