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ज्ञानेश्वर

1275 - 1296 | औरंगाबाद, महाराष्ट्र

समादृत मराठी संत, दार्शनिक, योगी और कवि। 'ज्ञानेश्वरी' और 'अमृतानुभव' जैसी कृतियों के लिए उल्लेखनीय।

समादृत मराठी संत, दार्शनिक, योगी और कवि। 'ज्ञानेश्वरी' और 'अमृतानुभव' जैसी कृतियों के लिए उल्लेखनीय।

ज्ञानेश्वर के उद्धरण

नमक पानी की थाह लेने गया तो वह स्वयं ही नहीं रहा, फिर कितना गहरा पानी है, यह नाप कैसे लेगा?

ज्ञानदेव कहते हैं- नामरूप रहित तेरा आत्मत्व सत्य है। इसी आत्मानंद-युक्त जीवन से सुखी हो जाओ।

जिसका किसी भी तरह वर्णन किया जाना संभव नहीं है, जो कैसा है, यह जाना नहीं जा सकता, जिसका अस्तित्व नित्य ही रहता है, ऐसे उस परमात्मा को देखो।

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