Font by Mehr Nastaliq Web

क्योंकि कलाएँ लोकतांत्रिक हैं

चंद रोज़ पहले Cannes Film Festival में रॉबर्ट डी नीरो को लाइफ़टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार को स्वीकार करते हुए उन्होंने चार मिनट पच्चीस सेकेंड का एक वक्तव्य दिया। यहाँ प्रस्तुत है अँग्रेज़ी में दिए गए इस वक्तव्य का अनमोल कृत हिंदी अनुवाद :

लियो (डी कैप्रियो), शुक्रिया, इस ख़ास अवसर पर, यहाँ, मेरे साथ होने के लिए। Cannes Film Festival को इस पाम डी’ओर के लिए बहुत शुक्रिया। पटल के लिए कहानियाँ कहने की कला से जो प्रेम करते हैं, उनके लिए, एक ऐसा समुदाय—या आप चाहें तो इसे घर कह लें—बनाने के लिए Cannes Film Festival को हज़ारों-हज़ार शुक्रिया!

मैं पहली बार यहाँ, मार्टिन स्कॉर्सेज़ी की ‘मीन स्ट्रीट्स’ के साथ साल 1973 में आया था, और फिर, पचास वर्षों के बाद, मार्टिन की ‘किलर्स ऑफ़ द फ़्लॉवर मून’ के साथ। इस दरमियान, मैं यहाँ बर्तोलुची, रोलैंड जॉफ़ी, सर्जियो लियोनी, जॉन मैक'नॉटन, अर्विन विंकलर, बैरी लेविंसन के साथ आ चुका हूँ; और अब दुबारा मार्टिन के साथ यहाँ आया हूँ। मैं यहाँ निर्णायक मंडल के अध्यक्ष के तौर पर आ चुका हूँ; मैं यहाँ एक प्रशंसक के तौर पर आ चुका हूँ, मैं यहाँ आ चुका हूँ; क्योंकि ये मेरे लोग हैं, और मुझे अपने लोगों से जुड़ने की ज़रूरत है।

यह महोत्सव विचारों का मेला है, कर्म का उत्सव है और नए काम का उत्प्रेरक है। यही वह जगह है, जहाँ पर ‘न्यूज़वीक’ के पूर्व फ़िल्म समीक्षक पॉल ज़िमरमैन ने, मार्टिन और मुझे, उनकी लिखी हुई एक पटकथा दी थी। हमें वह बहुत पसंद आई। बात को संक्षेप में कहें तो हमने अंततः उस पर फ़िल्म भी बनाई—‘किंग ऑफ़ कॉमेडी’। Cannes निश्चित ही एक उर्वर भूमि है। जेन रोज़ेंथॉल और क्रेग हैटकॉफ़ के साथ मिलकर हमने जब 2002 में ट्राईबेका फ़िल्म महोत्सव शुरू किया तो Cannes ही हमारी कसौटी रहा। 2001 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के रूप में आई आपदा के बाद, लोगों को हमारे आस-पास वापस ले आना हमारी प्रेरणा थी। जिस समय हमारी उपस्थिति एक अंतरराष्ट्रीय घटना के तौर पर दर्ज हो रही थी, Cannes की प्रेरणा ही हमारा पथ-प्रदर्शन कर रही थी।

हमें गर्व है कि Cannes की तरह हम भी खुले विचारों वाले और लोकतांत्रिक होने के लिए जाने जाते हैं। 

लोकतांत्रिक... यही वह शब्द है! मेरे देश में, हम उस लोकतंत्र को बचाने के लिए जी-जान से लड़ रहे हैं, जिसे हम एक समय पर पर्याप्त महत्त्व नहीं देते थे। यह हम सभी को प्रभावित करता है। यह हम सभी को प्रभावित करता है, क्योंकि कलाएँ लोकतांत्रिक हैं। कलाएँ समावेशी होती हैं; ये लोगों को साथ लाती हैं, मसलन—आज की रात। कला सत्य को खोजने का प्रयत्न करती है। कला विविधता को अपनाती है। इसीलिए कला एक ख़तरा है। इसीलिए हम एक ख़तरा हैं—निरंकुशों और फ़ाशीवादियों के लिए।

अमेरीका के अशिक्षित राष्ट्रपति ने ख़ुद को, ख़ुद ही से, हमारे कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थानों में से एक का सर्वेसर्वा नियुक्त कर लिया है। उसने कला, मानविकी और शिक्षा के लिए अनुदान और समर्थन रोक दिए हैं... और अब उसने अमेरिका के बाहर निर्मित होने वाली फ़िल्मों पर सौ प्रतिशत टैरिफ़ थोप दिया है। एक क्षण का समय लें और इसे समझने की कोशिश करें। आप रचनात्मकता पर कोई दाम नहीं लगा सकते, लेकिन ज़ाहिरन आप उसपे टैरिफ़ तो लगा ही सकते हैं।

यह—निश्चित ही—अस्वीकार्य है। ये सारे आक्रमण अस्वीकार्य हैं... और यह केवल अमेरिका की समस्या नहीं है, यह एक वैश्विक समस्या है। यह कोई चलचित्र नहीं है, अतः हम सिर्फ़ आराम से बैठकर देख ही नहीं सकते। हमें कुछ करना होगा, और हमें यह जल्द ही करना होगा। बिना हिंसा के, लेकिन एक महान् दृढ़ निश्चय के साथ। यही सही समय है कि वे सभी जो स्वतंत्रता के बारे में परवाह करते हैं, वे एक साथ आएँ और विरोध दर्ज कराएँ। और जब चुनाव हों, तो मतदान करें... मतदान करें। इस गौरवशाली उत्सव में, आज, और अगले ग्यारह दिन, हम कला का जश्न मना कर, अपनी ताक़त और प्रतिबद्धता दिखाएँ।

स्वतंत्रता! समानता! बंधुत्व! 

~~~ 

स्रोत : YouTube

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

07 अगस्त 2025

अंतिम शय्या पर रवींद्रनाथ

07 अगस्त 2025

अंतिम शय्या पर रवींद्रनाथ

श्रावण-मास! बारिश की झरझर में मानो मन का रुदन मिला हो। शाल-पत्तों के बीच से टपक रही हैं—आकाश-अश्रुओं की बूँदें। उनका मन

10 अगस्त 2025

क़ाहिरा का शहरज़ाद : नजीब महफ़ूज़

10 अगस्त 2025

क़ाहिरा का शहरज़ाद : नजीब महफ़ूज़

Husayn remarked ironically, “A nation whose most notable manifestations are tombs and corpses!” Pointing to one of the p

08 अगस्त 2025

धड़क 2 : ‘यह पुराना कंटेंट है... अब ऐसा कहाँ होता है?’

08 अगस्त 2025

धड़क 2 : ‘यह पुराना कंटेंट है... अब ऐसा कहाँ होता है?’

यह वाक्य महज़ धड़क 2 के बारे में नहीं कहा जा रहा है। यह ज्योतिबा फुले, भीमराव आम्बेडकर, प्रेमचंद और ज़िंदगी के बारे में भी

17 अगस्त 2025

बिंदुघाटी : ‘सून मंदिर मोर...’ यह टीस अर्थ-बाधा से ही निकलती है

17 अगस्त 2025

बिंदुघाटी : ‘सून मंदिर मोर...’ यह टीस अर्थ-बाधा से ही निकलती है

• विद्यापति तमाम अलंकरणों से विभूषित होने के साथ ही, तमाम विवादों का विषय भी रहे हैं। उनका प्रभाव और प्रसार है ही इतना ब

22 अगस्त 2025

वॉन गॉग ने कहा था : जानवरों का जीवन ही मेरा जीवन है

22 अगस्त 2025

वॉन गॉग ने कहा था : जानवरों का जीवन ही मेरा जीवन है

प्रिय भाई, मुझे एहसास है कि माता-पिता स्वाभाविक रूप से (सोच-समझकर न सही) मेरे बारे में क्या सोचते हैं। वे मुझे घर में

बेला लेटेस्ट