साहित्य और कला की विभिन्न विधाओं का संसार
‘कवियों में बची रहे थोड़ी लज्जा’ मंगलेश डबराल की इस पंक्ति के साथ यह भी कहना इन दिनों ज़रूरी है कि प्रकाशकों में भी बच ...और पढ़िए
पंकज प्रखर | 26 सितम्बर 2023
आदिम युग से ही कृति के साथ कर्ता भी हमेशा ही कौतूहल का विषय बना रहा है। जो हमसे भिन्नतर है, वह ऐसा क्यों है, इसकी जिज्ञा ...और पढ़िए
प्रज्वल चतुर्वेदी | 22 सितम्बर 2023
...कहाँ से निकलती हैं कविताएँ? उनका उद्गम स्थल कहाँ-कहाँ पाया जा सकता है? आदर्श भूषण के यहाँ कविताएँ टीसों के भंगार से, ...और पढ़िए
प्रतिभा किरण | 20 सितम्बर 2023
रज़िया सुल्तान में जाँ निसार अख़्तर का लिखा और लता मंगेशकर का गाया एक यादगार गीत है : ‘‘ऐ दिल-ए-नादाँ...’’, उसके एक अंतर ...और पढ़िए
सुदीप्ति | 20 सितम्बर 2023
स्वप्नान्नं जागरितांत चोभौ येनानुपश्यति। महान्तं विभुमात्मानं मत्वा धीरो न शोचति।। — बृहदारण्यक उपनिषद् (धीर पु ...और पढ़िए
कुमार मंगलम | 19 सितम्बर 2023
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