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सप्तक के कवि पर कविताएँ

अज्ञेय के संपादन में

प्रकाशित सप्तक शृंखला के काव्य-संग्रह, न स्वयं इतिहास का अंग हैं; बल्कि भविष्य की कविता-धारा के लिए भी एक दिशादृष्टि प्रदान करते हैं। ‘तार-सप्तक’ से शुरू हुई यह शृंखला ‘चौथा सप्तक’ के प्रकाशन के साथ पूरी हुई और इस क्रम में आधुनिक कविता की समकालीन धारा के प्रतिनिधित्व के साथ आगे की कविता-पीढ़ियों का मार्ग प्रशस्त किया। इस चयन में सप्तक में शामिल कवियों की कविताओं को जगह दी गई है।

नशीला चाँद

हरिनारायण व्यास

देह की दूरियाँ

गिरिजाकुमार माथुर

वर्षा के बाद

हरिनारायण व्यास

नया कवि

गिरिजाकुमार माथुर

दो पाटों की दुनिया

गिरिजाकुमार माथुर

गुनाह का दूसरा गीत

धर्मवीर भारती

छाया मत छूना

गिरिजाकुमार माथुर

गुनाह का गीत

धर्मवीर भारती

जाड़े की शाम

धर्मवीर भारती

थके हुए कलाकार से

धर्मवीर भारती

गेहूँ की सोच

प्रभाकर माचवे

सत्यं शिवं सुंदरम्

रामविलास शर्मा

पूर्णमासी रात भर

शकुंत माथुर

यह दर्द

धर्मवीर भारती

नदी-तट, साँझ और मेरा प्रश्न

प्रयागनारायण त्रिपाठी

दाराशिकोह

रामविलास शर्मा

आने वालों से एक सवाल

भारतभूषण अग्रवाल

देशोद्धारकों से

प्रभाकर माचवे

निर्वासन

गिरिजाकुमार माथुर

पानी भरे हुए बादल

गिरिजाकुमार माथुर

सीमाएँ : आत्म-स्वीकृति

भारतभूषण अग्रवाल

डरू संस्कृति

प्रभाकर माचवे

डर लगता है

शकुंत माथुर

बरकुल : चिलका झील

गिरिजाकुमार माथुर

चुंबन

धर्मवीर भारती

शिशिरांत

हरिनारायण व्यास

कविता की मौत

धर्मवीर भारती

वसंतागम

प्रभाकर माचवे

आज हैं केसर रंग रँगे वन

गिरिजाकुमार माथुर

एक मित्र से

हरिनारायण व्यास

उठे बादल, झुके बादल

हरिनारायण व्यास

चाँदनी

रामविलास शर्मा

केरल : एक दृश्य

रामविलास शर्मा

प्रत्यूष के पूर्व

रामविलास शर्मा

कवि और कल्पना

धर्मवीर भारती

साँसें

प्रयागनारायण त्रिपाठी

प्रभु की खोज

प्रयागनारायण त्रिपाठी

प्रेम : एक परिभाषा

प्रभाकर माचवे

इतनी रात गए

शकुंत माथुर

दिवा-स्वप्न

रामविलास शर्मा

बुद्ध

गिरिजाकुमार माथुर

विजयदशमी

गिरिजाकुमार माथुर

ये हरे वृक्ष

शकुंत माथुर

बरसाती झोंका

धर्मवीर भारती

छलना

प्रभाकर माचवे

भीगा दिन

गिरिजाकुमार माथुर

रुक कर जाती हुई रात

गिरिजाकुमार माथुर