संगीत पर गीत

रस की सृष्टि करने वाली

सुव्यवस्थित ध्वनि को संगीत कहा जाता है। इसमें प्रायः गायन, वादन और नृत्य तीनों शामिल माने जाते हैं। यह सभी मानव समाजों का एक सार्वभौमिक सांस्कृतिक पहलू है। विभिन्न सभ्यताओं में संगीत की लोकप्रियता के प्रमाण प्रागैतिहासिक काल से ही प्राप्त होने लगते हैं। भर्तृहरि ने साहित्य-संगीत-कला से विहीन व्यक्ति को पूँछ-सींग रहित साक्षात् पशु कहा है। इस चयन में संगीत-कला को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।

कार्नेलिया का गीत

जयशंकर प्रसाद

देवसेना का गीत

जयशंकर प्रसाद

जब दर्द बढ़ा तो बुलबुल ने

गोपाल सिंह नेपाली

रोने वाला ही गाता है

गोपालदास नीरज

आज तार मिला

महादेवी वर्मा

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