माँ पर कवितांश
किसी कवि ने ‘माँ’ शब्द
को कोई शब्द नहीं, ‘ॐ’ समान ही एक विराट-आदिम-अलौकिक ध्वनि कहा है। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं का संकलन किया गया है, जिनमें माँ आई है—अपनी विविध छवियों, ध्वनियों और स्थितियों के साथ।
अपने बेटे को
महापुरुष की गणना में
गिनते जाते देखकर
पुत्र प्रसव कष्ट से बढ़कर
माँ को होगा संतोष