स्मृति पर पत्र
स्मृति एक मानसिक क्रिया
है, जो अर्जित अनुभव को आधार बनाती है और आवश्यकतानुसार इसका पुनरुत्पादन करती है। इसे एक आदर्श पुनरावृत्ति कहा गया है। स्मृतियाँ मानव अस्मिता का आधार कही जाती हैं और नैसर्गिक रूप से हमारी अभिव्यक्तियों का अंग बनती हैं। प्रस्तुत चयन में स्मृति को विषय बनाती कविताओं को शामिल किया गया है।
पिता के पत्र पुत्री के नाम (आर्यो का हिंदुस्तान में आना)
अब तक हमने बहुत ही पुराने ज़माने का हाल लिखा है। अब हम यह देखना चाहते हैं कि आदमी ने कैसे तरक़्क़ी की और क्या-क्या काम किए। उस पुराने ज़माने को इतिहास के पहले का ज़माना कहते हैं। क्योंकि उस ज़माने का हमारे पास कोई सच्चा इतिहास नहीं है। हमें बहुत कुछ
जवाहरलाल नेहरू
पिता के पत्र पुत्री के नाम (पीछे की तरफ़ एक नज़र)
तुम मेरी चिट्ठियों से ऊब गई होगी! ज़रा दम लेना चाहती होगी। ख़ैर, कुछ अरसे तक मैं तुम्हें नई बातें न लिखूँगा। हमने थोड़े से ख़तों में हज़ारों लाखों बरसों की दौड़ लगा डाली है। मैं चाहता हूँ कि जो कुछ हम देख आए हैं उस पर तुम ज़रा ग़ौर करो। हम उस ज़माने