अनुशासन पर उद्धरण
अनुशासन का अर्थ है नियमों,
आदेशों, या सिद्धांतों का पालन करना। इसका प्रयोग उस स्थिति को दर्शाने के लिए किया जाता है जब व्यक्ति अपने कार्यों और व्यवहार में एक व्यवस्था बनाए रखता है और अनुचित कार्यों से बचता है। अनुशासन में संयम, नियंत्रण, और आत्म-अनुशासन भी शामिल होता है।

अधिक श्रेष्ठ बनने का प्रयत्न करने वाले जीवन से श्रेष्ठतर जीवन नहीं हो सकता; और स्वच्छ अंतःकरण होने से बढ़कर अधिक समानुकूलता वाला जीवन नहीं हो सकता।

भीतर से उभरता हुआ, जंगली, अनुशासनहीन, शुद्ध रूप से लिखा हुआ—ख़याल; जितना अजीब, उतना बेहतर।

संपूर्ण प्रकृति में कठोर अनुशासन व्याप्त है। प्रकृति थोड़ी-सी क्रूर है ताकि वह बहुत दयालु हो सके।

परंपरा को स्वीकार करने का अर्थ बंधन नहीं, अनुशासन का स्वेच्छा से वरण है।

परंपरा अपने को ही काटकर, तोड़ कर आगे बढ़ती है, इसलिए कि वह निरंतर मनुष्यों को अनुशासित रखते हुए भी स्वाधीनता के नए-नए आयामों में प्रतिष्ठित करती चलती है। परंपरा बंधन नहीं है, वह मनुष्य की मुक्ति (अपने लिए ही नहीं, सबके लिए मुक्ति) की निरंतर तलाश है।

आत्मसंयम, अनुशासन और बलिदान के बिना राहत या मुक्ति की आशा नहीं की जा सकती। अनुशासनहीन बलिदान से भी काम नहीं चलेगा।

सुवर्ण नियम यह है कि जो चीज़ लाखों को नहीं मिल सकती, उसे लेने से हम दृढ़तापूर्वक इंकार कर दें।