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उद्धरण

उद्धरण श्रेष्ठता का संक्षिप्तिकरण हैं। अपने मूल-प्रभाव में वे किसी रचना के सार-तत्त्व सरीखे हैं। आसान भाषा में कहें तो किसी किताब, रचना, वक्तव्य, लेख, शोध आदि के वे वाक्यांश जो तथ्य या स्मरणीय कथ्य के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, उद्धरण होते हैं। भाषा के इतिहास में उद्धरण प्रेरणा और साहस प्रदान करने का काम करते आए हैं। वे किसी रचना की देह में चमकती आँखों की तरह हैं, जिन्हें सूक्त-वाक्य या सूक्ति भी कहा जाता है। संप्रेषण और अभिव्यक्ति के नए माध्यमों में इधर बीच उद्धरणों की भरमार है, तथा उनकी प्रासंगिकता और उनका महत्त्व स्थापना और बहस के केंद्र में है।

1838 -1894

समादृत बंगाली उपन्यासकार, कवि, निबंधकार और पत्रकार। राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्' के रचयिता।

1921 -2006

सुप्रसिद्ध अमेरिकी नारीवादी लेखिका और कार्यकर्ता। 'द फ़ेमिनिन मिस्टिक' कृति के लिए उल्लेखनीय।

1898 -1956

बीसवीं सदी के समादृत जर्मन कवि-लेखक, नाटककार और रंग-निर्देशक। 'एपिक थिएटर' की अवधारणा के जनक।

1940 -1973

संसारप्रसिद्ध चीनी-हांगकांग अभिनेता, मार्शल आर्ट कलाकार, दार्शनिक, फ़िल्म-निर्देशक, पटकथा लेखक।

1680 -1757

समादृत सूफ़ी संत, पंजाबी कवि, दार्शनिक और समाज-सुधारक।

7वीं सदी के सुप्रसिद्ध संस्कृत कवि-लेखक। 'हर्षचरित' और कादंबरी' के लिए उल्लेखनीय।

1856 -1920

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध नेता, क्रांतिकारी विचारक और समाज सुधारक। 'लोकमान्य तिलक' के रूप में समादृत।

1844 -1914

भारतेंदुयुगीन प्रमुख निबंधकार, गद्यकार और पत्रकार। गद्य-कविता के जनक और ‘प्रदीप’ पत्रिका के संपादक के रूप में समादृत।