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बच्चन सिंह

1919 - 2008 | जौनपुर, उत्तर प्रदेश

बच्चन सिंह के उद्धरण

मैं ख़रीद बैठा पीड़ा को यौवन के चिरसंचित धन से!

तेरे दुःख से कहीं कठिन दुःख यह जग मौन सहा करता है।

सह सकेगी भार कितना यह नयन की नाव!

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मिल पाया प्यार जिनको आज उनको प्यार मेरा।

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