जूलिया क्रिस्तेवा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ उद्धरण
जूलिया क्रिस्तेवा के
प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ उद्धरण
प्रेम वह समय और स्थान है : जहाँ ‘मैं’ अपने आपको असाधारण बनने का अधिकार देती हूँ।
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माता-पिता से वंचित हो जाना—क्या स्वतंत्रता वहीं से शुरू होती है?
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वह विदेशी है, वह कहीं से भी नहीं है, वह हर जगह से है, दुनिया का नागरिक, महानगरीय है। उसे उसके मूल स्थान पर वापस न भेजें।
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दुख को नाम देना, उसे बढ़ा-चढ़ाकर, उसके सबसे छोटे घटकों में विघटित करना—शोक को कम करने का निश्चित तरीक़ा है।
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क्या कोई इसके सिवाय किसी अन्य शर्त पर भी लिखता है कि वह असीम भाव-विरेचन के लिए दुर्दशा की स्थिति में होता है?
हमें यह मान लेना चाहिए कि कोई किसी दूसरे देश में इसलिए विदेशी बन जाता है, क्योंकि वह अंदर से पहले से ही विदेशी होता है?
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धर्म के विश्लेषण-योग्य होने का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि कोई ऐसा तरीक़ा है जिससे इसके बिना काम चलाया जा सके।
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