हानकांग के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ उद्धरण
हानकांग के प्रसिद्ध
और सर्वश्रेष्ठ उद्धरण
मैंने ख़ुद को कभी यह नहीं भूलने दिया कि मैं जिस भी व्यक्ति से मिलती हूँ, वह इस मानव-जाति का सदस्य है।
बिना किसी आवाज़ के और बिना किसी हलचल के, मेरे अंदर की कोई कोमल चीज़ टूट गई। कुछ ऐसी चीज़, जिसके होने का मुझे तब तक एहसास भी नहीं हुआ था।
मैं तुम्हें निगल जाना चाहती हूँ और चाहती हूँ कि तुम मुझमें पिघल जाओ और मेरी नसों में बह जाओ।