रविंद्र कुमार के बेला
12 नवम्बर 2025
एक बैग की चोरी
अभी-अभी, मुझे रात के क़रीब 8:30 बजे एक फ़ोन कॉल आया। दिल्ली की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे मेरे एक घनिष्ठ मित्र ने घबराए हुए स्वर में बताया, “भैया, मेरा बैग चोरी हो गया है! क्लासरूम से ग़ायब!” यह सुनत
बेदिल की दिल्ली
विगत कई दिनों से हमारा मन दिल्ली से बाहर कहीं दूर जाने को छटपटा रहा था। लगभग दो महीने से राजधानी के एक बंद 20×20 के किराये के कमरे में कैद रहते-रहते दिमाग, दिल और शरीर—सब सुस्त और कुछ-कुछ रोबोट जैसे
मृत्यु ही जीवन का सबसे विश्वसनीय वादा है
जिस क्षण हम जन्म लेते हैं, उसी क्षण मृत्यु हमारे साथ चल पड़ती है। हमारा हर क़दम अपनी मृत्यु की ओर उसकी छाया की तरह उठता है। हर बीता हुआ कल वर्तमान में समाकर आने वाले कल से मिलने की दिशा में बढ़ता है।