Font by Mehr Nastaliq Web

रेख़्ता फ़ाउंडेशन के उपक्रम ‘हिन्दवी’ के चार साल

हिंदी साहित्य को समर्पित रेख़्ता फ़ाउंडेशन का उपक्रम ‘हिन्दवी’ जल्द ही साहित्य-संसार में अपने चार वर्ष सफलता के साथ पूरे करने वाला है। इस सुखद अवसर पर हम हिंदी कविता और साहित्य से संबद्ध सभी रचनाकारों, साहित्यप्रेमियों, शुभचिंतकों और विशाल पाठक समुदाय के अतुलनीय सहयोग और योगदान के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं।

‘हिन्दवी’ गत वर्ष की तरह ही इस मौक़े पर रविवार, 28 जुलाई 2024 के रोज़, त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में ‘हिन्दवी उत्सव’ करने जा रहा है। ‘हिन्दवी’ के इस वार्षिक साहित्यिक आयोजन में इस वर्ष भी हिंदी संसार से संबद्ध महत्त्वपूर्ण साहित्यिक हस्तियाँ शरीक होगीं।

‘हिन्दवी उत्सव’ कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी आपको दिए गए लिंक से प्राप्त हो जाएगी : https://hindwi.org/utsav 
 
आपको बताते चलें कि प्रेमचंद-जयंती के अवसर पर 31 जुलाई 2020 को ‘हिन्दवी’ का लोकार्पण किया गया। ‘हिन्दवी’ वेबसाइट पर इस समय हिंदी साहित्य-परंपरा के सभी प्रमुख नए-पुराने रचनाकारों और अलक्षित लेखकों की हज़ारों रचनाएँ और लोकगीत उपलब्ध हैं, जिन्हें हिंदी साहित्य परंपरा के विभिन्न विभागों में वर्गीकृत किया गया है। इसके साथ ही समकालीन विमर्शों से संबंधित रचनाएँ, विषयानुसार रचनाएँ और लोकप्रिय रचनाएँ भी एक स्थान पर हैं। 

‘हिन्दवी’ पर पाठकों के लिए हिंदी की सौ श्रेष्ठ कहानियों के संग्रह, यात्रा संस्मरण, निबंध और आलोचना सरीखी गद्य विधाओं को भी लगातार संग्रहबद्ध किया जा रहा है।
 
‘हिन्दवी’ में मौजूद ई-पुस्तक सेक्शन में आप हिंदी की नई-पुरानी ज़रूरी किताबें पढ़ सकते हैं। यहाँ हिंदी की पुरानी किताबों के साथ-साथ भाषा साहित्य से संबंधित आधुनिक पुस्तकों को भी डिजिटाइज़ करके संरक्षित किया जा रहा है।

बीते वर्षों में ‘हिन्दवी’ ने वर्तनी पर भी कार्य किया है, जो शुद्ध हिंदी और सही भाषा की ओर ले जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण क़दम है। इसी क्रम में हिन्दवी डिक्शनरी ऐप को पाठकों के लिए लॉन्च किया गया है। यह ऐप एंड्रॉयड और आईओएस से डाउनलोड किया जा सकता है।

‘हिन्दवी’ ने विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर वहाँ के छात्रों को साहित्य सृजन के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वर्ष 2022 से लगातार कैंपस कविता का उल्लेखनीय आयोजन किया है, इसके अब तक 13 आयोजन हो चुके हैं।

‘हिन्दवी’ ने अपने इसी प्रयोगधर्मी व्यवहार के आलोक में संगत की शुरूआत भी की है। यह एक ऐसी अन्यतम सीरीज़ है जिसके अंतर्गत साहित्य-संस्कृति संसार के समादृत व्यक्तित्वों के वीडियो साक्षात्कार प्रस्तुत और प्रसारित किए जा रहे हैं। इस कड़ी में अबतक 75 से अधिक एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं।
 
'हिन्दवी' की सबसे नई पेशकश है—'बेला'। 'बेला'—एक ऐसा अदबी ठिकाना है; जहाँ सिर्फ़ साहित्य ही नहीं, आर्ट और कल्चर और जुबानों में रोज-ब-रोज़ क्या हुआ, हो रहा और होने वाला है... इसकी इंदराजी होगी। इस मायने में 'बेला' एक ऐसी घड़ी है जिसे आप आर्ट एंड कल्चर का वक़्त जानने के लिए जब चाहें देख सकते हैं।

'हिन्दवी' वेबसाइट पर मौजूद 'बेला' पर जाकर आप अलग-अलग सेक्शन में उपलब्ध लेख पढ़ सकते हैं। 'बेला' पर मौजूद 'गतिविधियाँ', 'किताबें', 'सिनेमा', 'विचार', 'साहित्य', 'विशेष', 'ट्रेंडिंग' आदि श्रेणियों में आपको हिंदी-साहित्य-संसार की ज़रूरी-महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ और आलेख मिलेंगे।

बीते चार वर्षों में ‘हिन्दवी’ को सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म्स पर हिंदी के नए-पुराने पाठकों-प्रेमियों का भी भरपूर प्रेम मिला है। पाठकों द्वारा विगत वर्षों में सोशल मीडिया पर साझा हुए स्तंभों जैसे कवियों के उद्धरण, ऋतु विशेष, कवियों के क़िस्से, छंद-संसार, शब्द-संसार, शीर्षक-संसार, पत्रिका-पहुँची, पुस्तक-संसार, ज्ञान-संसार, कहन-संसार, सूक्ति-संसार, कविताओं से संबंधित रोचक तथ्य, हिन्दवी के वार्षिक आयोजन : ‘इसक’—21वीं सदी की कविता और नई सृष्टि नई स्त्री; साथ ही कोरोना महामारी से जुड़ी कविताओं को बेहद सराहा है।

बीते तीन सालों में ‘हिन्दवी’ के यूट्यूब चैनल पर भी पाठकों और साहित्यप्रेमियों के लिए लगातार वीडियो-ऑडियो प्रसारित किए जा रहे हैं।  आपको यहाँ हिन्दवी उत्सव 2022, 2023 में उपस्थित साहित्यकारों के काव्यपाठ और वक्तव्य, कैंपस कविता के वीडियोज़, विश्व कविताओं के अनुदित पाठ, संगत के सभी एपिसोड्स और संबंधित वीडियोज़ और हिंदी कवियों की कविताओं के पाठ और प्रस्तुति वीडियो प्रारूप में मिलेंगी।

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

25 अक्तूबर 2025

लोलिता के लेखक नाबोकोव साहित्य-शिक्षक के रूप में

25 अक्तूबर 2025

लोलिता के लेखक नाबोकोव साहित्य-शिक्षक के रूप में

हमारे यहाँ अनेक लेखक हैं, जो अध्यापन करते हैं। अनेक ऐसे छात्र होंगे, जिन्होंने क्लास में बैठकर उनके लेक्चरों के नोट्स लिए होंगे। परीक्षोपयोगी महत्त्व तो उनका अवश्य होगा—किंतु वह तो उन शिक्षकों का भी

06 अक्तूबर 2025

अगम बहै दरियाव, पाँड़े! सुगम अहै मरि जाव

06 अक्तूबर 2025

अगम बहै दरियाव, पाँड़े! सुगम अहै मरि जाव

एक पहलवान कुछ न समझते हुए भी पाँड़े बाबा का मुँह ताकने लगे तो उन्होंने समझाया : अपने धर्म की व्यवस्था के अनुसार मरने के तेरह दिन बाद तक, जब तक तेरही नहीं हो जाती, जीव मुक्त रहता है। फिर कहीं न

27 अक्तूबर 2025

विनोद कुमार शुक्ल से दूसरी बार मिलना

27 अक्तूबर 2025

विनोद कुमार शुक्ल से दूसरी बार मिलना

दादा (विनोद कुमार शुक्ल) से दुबारा मिलना ऐसा है, जैसे किसी राह भूले पंछी का उस विशाल बरगद के पेड़ पर वापस लौट आना—जिसकी डालियों पर फुदक-फुदक कर उसने उड़ना सीखा था। विकुशु को अपने सामने देखना जादू है।

31 अक्तूबर 2025

सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

31 अक्तूबर 2025

सिट्रीज़ीन : ज़िक्र उस परी-वश का और फिर बयाँ अपना

सिट्रीज़ीन—वह ज्ञान के युग में विचारों की तरह अराजक नहीं है, बल्कि वह विचारों को क्षीण करती है। वह उदास और अनमना कर राह भुला देती है। उसकी अंतर्वस्तु में आदमी को सुस्त और खिन्न करने तत्त्व हैं। उसके स

18 अक्तूबर 2025

झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना

18 अक्तूबर 2025

झाँसी-प्रशस्ति : जब थक जाओ तो आ जाना

मेरा जन्म झाँसी में हुआ। लोग जन्मभूमि को बहुत मानते हैं। संस्कृति हमें यही सिखाती है। जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है, इस बात को बचपन से ही रटाया जाता है। पर क्या जन्म होने मात्र से कोई शहर अपना ह

बेला लेटेस्ट