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वियोगिनी ठाकुर

1992 | बदायूँ, उत्तर प्रदेश

नई पीढ़ी की कवयित्री और गद्यकार।

नई पीढ़ी की कवयित्री और गद्यकार।

वियोगिनी ठाकुर के बेला

12 सितम्बर 2025

प्रेम तुम्हारे लिए नहीं है

प्रेम तुम्हारे लिए नहीं है

पेट में कई रोज़ से पीर उठती है। उठती क्या है बंद ही नहीं है। जितनी देर आँख लगी रहे, उतनी ही देर पता नहीं चलता। नहीं तो हर पल छोटी-छोटी सुइयाँ चुभती हुई महसूस होती हैं। कभी लगता है बहुत सारे कीड़े

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