प्रदीप्त प्रीत के बेला
दोस्ती क़ब्रिस्तान है और दोस्त क़ब्र
दोस्त सिर्फ़ दोस्त होते हैं। बहुत सारा साथ, सामर्थ्य, साहस और प्रेम उसी में समाहित होता है। किसी भी इंसान के बारे में दूसरे लोग सिर्फ़ अंदाज़ा लगा सकते हैं, सच सिर्फ़ दोस्तों को पता होता है, उनसे छिप
धड़क 2 : ‘यह पुराना कंटेंट है... अब ऐसा कहाँ होता है?’
यह वाक्य महज़ धड़क 2 के बारे में नहीं कहा जा रहा है। यह ज्योतिबा फुले, भीमराव आम्बेडकर, प्रेमचंद और ज़िंदगी के बारे में भी कहा जा रहा है। कितनी ही बार स्कूलों में, युवाओं के बीच में या फिर कह लें कि तथा