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आइज़क डी'ज़रायली

1766 - 1848

आइज़क डी'ज़रायली के उद्धरण

अध्ययन की कला होती है, चिंतन की भी कला होती है और लेखन की भी कला होती है।

यदि किसी प्रतिभाशाली लेखक से यह पूछा जाए कि उसकी कृति में किस पृष्ठ ने उसको अधिकतम उलझाया था तो बहुधा वह मुखपृष्ठ की ओर ही संकेत करेगा।

महापुरुषों के दोष मूर्खो के लिए सांत्वनाप्रद होते हैं।

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