
निरपेक्ष सत्यों का सापेक्ष परिधान पहनाने का पुनित कर्त्तव्य, काव्य और कला के लिए ही सुरक्षित है।

कविता और कला के निर्माताओं का भी कर्त्तव्य है कि वे आधुनिक देश-काल के समीकरण द्वारा व्युत्पादित सृष्टि, स्थिति और प्रलय-संबंधी सिद्धांतों का उपयोग अपनी अमर कृतियों में कौशल के साथ करें।