प्रकृति पर आलोचनात्मक लेखन
प्रकृति-चित्रण काव्य
की मूल प्रवृत्तियों में से एक रही है। काव्य में आलंबन, उद्दीपन, उपमान, पृष्ठभूमि, प्रतीक, अलंकार, उपदेश, दूती, बिंब-प्रतिबिंब, मानवीकरण, रहस्य, मानवीय भावनाओं का आरोपण आदि कई प्रकार से प्रकृति-वर्णन सजीव होता रहा है। इस चयन में प्रस्तुत है—प्रकृति विषयक कविताओं का एक विशिष्ट संकलन।
निराला की एक कविता : हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र
इस शीर्षक में 'पत्र' शब्द कविता का अर्थ खोल देता है। हिन्दी में 'सुमनों के प्रति' पत्र की ओर से बात कही गई है। 'पत्र' शब्द पाँच छंदों की इस कविता में तीसरे छंद की तीसरी पंक्ति में आया है। 'पत्र' के हिन्दी में कई अर्थ हैं; चिट्ठी और पत्ता। इस कविता में