भ्रमरगीत पर उद्धरण
प्रस्तुत चयन में भ्रमरगीत
काव्य-परंपरा की रचनाओं का संकलन किया गया है।
प्रेम का मार्ग सहज, सरल और सीधा है, निर्गुण का पथ कंटकाकीर्ण, दुरूह, दुर्गम और चक्करदार है। संपूर्ण भ्रमरगीत में उद्धव और गोपियों के संवाद के माध्यम से, ज्ञान और योग के ऊपर प्रेम के विजय की घोषणा हुई है।
भ्रमरगीत-काव्य, सूरदास के काव्य और कला की सिद्धावस्था है।
भ्रमरगीत सूरसागर का एक अंश है, लेकिन यह एक स्वतंत्र काव्यरूप भी है। इसकी परंपरा सूरदास से पुरानी है, और सूरदास के भ्रमरगीत के बाद इसकी लंबी परंपरा है।